नई दिल्ली, 04 दिसंबर (इंडिया साइंस वायर): बेंगलुरु स्थित भारतीय विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिकों ने एक नया उपकरण विकसित किया है, जो किसी क्षेत्र में वाष्पीकरण की दर को कुछ ही क्षणों में सरल और सटीक ढंग से माप सकता है। यह नया यंत्र पौधों से वाष्पोत्सर्जन और मिट्टी से वाष्पीकरण की बेहतर माप प्राप्त करने में प्रभावी पाया गया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि नया उपकरण वाष्पीकरण मापने के उपलब्ध तरीकों की तुलना में कहीं अधिक सक्षम और सस्ता विकल्प है। भारतीय विज्ञान संस्थान के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के वरिष्ठ शोधकर्ता प्रोफेसर जयवंत एच. अरकेरी ने बताया कि "वाष्पीकरण दर मापने के लिए आमतौर पर पात्र वाष्पन मीटर (Pan Evaporimeter) का उपयोग होता है। यह एक बड़े पात्र के आकार में होता है, जो पानी से भरा रहता है। एक दिन के दौरान पात्र में भरे पानी के स्तर में बदलाव उस क्षेत्र में वाष्पीकरण की दर को दर्शाता है। मौजूदा तरीकों की एक खामी यह है कि इससे पूरे दिन और बड़े क्षेत्र (1 वर्ग मीटर) में वाष्पीकरण की दर पता चल पाती है। इसके अलावा, उपकरण लगाने के लिए खुले मैदान की जरूरत होती है। लेकिन, हमने एक
गुणानंद जाखमोला, उत्तरजन टुडे, देहरादून। दो पूर्व जनरलों मेजर जनरल बीसी खंडूड़ी और ले. जनरल टीपीएस रावत ने उत्तराखंड की राजनीति में एक मुकाम हासिल किया। दोनों ही जनरल भले ही आज राजनीति में हाशिए पर हैं, लेकिन दोनों का अपना रुतबा रहा है। राजनीतिक कीचड़ में दामन झुलसा लेकिन अपनी प्रतिष्ठा बचाने में कामयाब रहे। दोनों ही जनरलों को ईमानदार माना जाता है। पहाड़ के युवाओं को रोजगार देने में जनरल टीपीएस रावत का कोई सानी नहीं है। उनको पहाड़ के युवा आज भी याद करते हैं। जनरल खंडूड़ी ने राजनीतिक शुचिता को बनाए रखा, हालांकि सारंगी ने उनकी इस छवि की पीपरी बजा दी। आप के प्रदेश उपाध्यक्ष बने मेजर जनरल डा. सीके जखमोला गेस्ट्रो सर्जन करेंगे प्रदेश के राजनीतिक कैंसर का इलाज! ऐसे समय में जब भाजपा और कांग्रेस के दोनों दिग्गज जनरल जीवन की सांध्यबेला में अकेलेपन का शिकार हैं, उत्तराखंड की राजनीति में एक नये जनरल का प्रादुर्भाव हुआ है। ये हैं पूर्व मेजर जनरल डा. चंद्र किशोर जखमोला। आम्र्ड फोर्सेज मेडिकल सर्विस से सेवानिवृत्त हुए हैं। जनरल डा. जखमोला जर्नल सर्जन हैं और गेस्ट्रो में पारंगता है। यानी कैंसर का इलाज भी